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B.A. FIRST YEAR ( POLITICAL SCIENCE ) IGNOU BPSC- 131 राजनीतिक सिद्धांत का परिचय CHAPTER- 6 / अधिकार RIGHTS


अधिकार का अर्थ

अधिकार मानव के विकास के लिए वे सामाजिक दावे हैं 

जो समाज द्वारा मान्यता प्राप्त एवं विधिसम्मत हैं 

सरकार हमें अधिकार प्रदान करती है 

तथा राज्य उनका संरक्षण करता है


परिभाषा

बोसांक के अनुसार   “अधिकार समाज द्वारा मान्यता 

प्राप्त और राज्य द्वारा लागू किया गया एक दावा होता है” 

लास्की के अनुसार

 “अधिकार सामाजिक जीवन की वे दशाएं हैं 

जिनके बिना कोई आदमी सामान्य रूप से अपनी अच्छी दशा में 

होने का प्रयास नहीं कर सकता”


सामाजिक दावा

अधिकार समाज में जन्म लेते हैं इसलिए समाज से पहले 

समाज के ऊपर और समाज के विरुद्ध कोई अधिकार नहीं होता

व्यक्तित्व का विकास - अधिकार व्यक्ति से संबंध रखते हैं तथा उसके 


व्यक्तित्व के विकास में सहायक हैं

न्यायपूर्ण हक - अधिकार न्याय पूर्ण हक है क्योंकि वह सामाजिक रूप से 

 स्वीकृत है यह राजनीतिक रूप से मान्यता प्राप्त होते हैं


अधिकारों की प्रकृति

अधिकारों की विषय वस्तु समाज एवं उनकी परिस्थितियों के अनुसार बदलती 

रहती है इस प्रकार अधिकार परिवर्तनशील है अर्थात समय वह काल के अनुसार 

अधिकार बदलते आए हैं

समाज में जो कार्य हम करते हैं अधिकार उन कार्यों के प्रति अनुक्रियाए हैं 

अधिकार केवल हमारे कर्तव्यों का लाभ ही नहीं बल्कि वे उन कार्यों से भी संबंधित 

है जो हम करते हैं

अधिकार सामाजिक दावों के रूप में व्यक्तित्व के विकास के 

लिए जरूरी परिस्थितियां पैदा करता है राज्य अधिकारों को 

जन्म देता है उन्हें कायम रखता है और उनका संरक्षण भी करता है


भारतीय संविधान के अनुसार नागरिकों को प्रदान मौलिक अधिकार 

1- समानता का अधिकार 

2- स्वतंत्रता का अधिकार 

3- शोषण के विरुद्ध अधिकार 

4- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार 

5- सांस्कृतिक व शैक्षणिक अधिकार 

6- संवैधानिक उपचारों का अधिकार 

7- शिक्षा का अधिकार


जनसाधारण के अधिकार

जीवन का अधिकार - जीवन का अधिकार के बिना बाकी सभी अधिकार व्यर्थ है 

जीवन का अधिकार किसी भी क्षति के विरुद्ध सुरक्षा की गारंटी देता है इसलिए 

आत्महत्या को भी अपराध की श्रेणी में रखा जाता है

समानता का अधिकार - कानून के समक्ष राज्य के सभी नगरिक चाहे वह किसी 

जाति धर्म लिंग का हो समान है भारतीय संविधान के अनुसार सामाजिक, 

आर्थिक, राजनीतिक सभी रूप से सभी को समान अधिकार प्राप्त है


स्वतंत्रता का अधिकार

स्वतंत्रता का अधिकार अत्यंत व्यापक है एवं तर्कसंगत भी 

इस अधिकार की विशेषता है कि व्यक्ति को भाषण देने प्रेस की, सभा, संघ ,

आंदोलन ,निवास कि या किसी भी प्रकार के व्यवसाय को करने की स्वतंत्रता है


धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

धर्म किसी व्यक्ति विशेष के लिए उसकी आस्था 

का तथा उसके मन की आवाज का विषय है धर्म तथा जनजीवन को अलग अलग 

रखा जाता है यह अधिकार धर्मनिरपेक्षता को दर्शाता है


आर्थिक अधिकार

इसके अंतर्गत काम करने का अधिकार 

सामाजिक सुरक्षा का अधिकार 

संपत्ति का अधिकार तथा विश्राम एवं अवकाश का अधिकार आते हैं 

संपत्ति के अधिकार के फलस्वरूप व्यक्ति अपनी संपत्ति को रखने और 

उसे उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त करने का अधिकार रखता है


राजनीतिक अधिकार

 इसके अंतर्गत वोट देने का अधिकार, 

चुनाव लड़ने एवं सार्वजनिक पद ग्रहण करने का अधिकार, 

राजनीतिक दल बनाने का अधिकार 

यह सभी अधिकार व्यक्ति को एक पूर्ण विकसित नागरिक 

बनाते हैं


शिक्षा का अधिकार

शिक्षा के बिना मनुष्य के व्यक्तित्व का 

विकास नहीं हो सकता अशिक्षा एक सामाजिक अभिशाप है 

भारतीय संविधान के द्वारा शिक्षा का अधिकार अब एक मूल 

अधिकार है 6 से 14 साल तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा राज्य 

सरकार द्वारा प्रदान की जाती है


संवैधानिक अधिकार

भारतीय संविधान के द्वारा अपने नागरिकों 

को जो भी मौलिक अधिकार प्रदान है संवैधानिक अधिकार उन 

अधिकारों की पूर्णता की गारंटी लेता है 

अर्थात व्यक्ति अपने अधिकारों के हनन के विरुद्ध आवाज उठाने 

एवं कानूनी प्रक्रिया के तहत अपने अधिकारों की रक्षा करने का 

अधिकार रखता है

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