B.A. FIRST YEAR ( HISTORY ) IGNOU- BHIC 131 भारत का इतिहास (प्रारंभ से 300 ई. तक)- Chapter- 12th सिकंदर का आक्रमण
सिकंदर 20 साल की उम्र में अपने पिता (फिलीप द्वितीय) की जगह लेते हुए
मैसेडोनिया (यूनान )के सिंहासन पर बैठा
उसका सपना विश्व विजेता बनने का था
यूनान में इन्हें ALEXANDER के नाम से जाना जाता था
326 ईसा पूर्व भारत पर आक्रमण करने से पहले उसने कई क्षेत्रों पर विजय प्राप्त कर ली थी
अम्भी ( तक्षशिला के शासक) और अभिसार ने उसके आगे आत्मसमर्पण किया
लेकिन पंजाब के शासक ने ऐसा नहीं किया सिकंदर और पोरस की सेनाओं के
बीच झेलम नदी के पास शुरू हुआ युद्ध जिसको हेडास्पेस के युद्ध के नाम से जाना
जाता है हालांकि पोरस हार गया था
यूनानी योद्धा सिकंदर एक क्रूर, अत्याचारी और शराब पीने वाला व्यक्ति था
मकदूनिया का यह राजा कभी महान नहीं रहा
अपने चचेरे भाइयों का कत्ल करने के बाद
ये मैसेडोनिया के सिंघासन पर बैठा था
सिकंदर अत्यंत महत्वाकांक्षी था
इतिहासकरो के अनुसार सिकंदर ने कभी उदारता नहीं दिखाई
सिकंदर 19 महीनों तक भारत में रहा तब तक
उसने भारत के उत्तर पश्चिम के कई क्षेत्र अपने अधीन कर लिया
जैसे पंजाब, गांधार, तक्षशिला आदि
विजय प्राप्त प्रदेशों के लिए आवश्यक प्रशासनिक व्यवस्था करने के बाद
सिकंदर 325 ईसापुर वापस चला गया
33 वर्ष की आयु में जब वह बेबीलोन में था उसका निधन हो गया
भारत पर आक्रमण करने वाले सबसे पहले आक्रांता थे
बैक्ट्रिया के ग्रीक राजा इन्हें भारतीय साहित्य में यवन का नाम दिया जाता है
यवन शासक में सबसे शक्तिशाली सिकंदर था
सिकंदर ने अपने पीछे एक विशाल साम्राज्य छोड़ा था
जिसमें मेसिडोनिया, सीरिया, बैक्ट्रिया, पार्थिया, अफगानिस्तान
एवं उत्तर पश्चिम भारत के कुछ भाग
सिकंदर के कब्जे किए गए भूभाग पर बाद में उसके सेनापति
सेल्यूकस ने शासन किया हालांकि सेल्यूकस को यह भूभाग
चंद्रगुप्त मौर्य को समर्पित कर देने पड़े
सिकंदर के बाद डेमेट्रियस प्रथम 183 ई. पू. में भारत पर आक्रमण किया
उसने पंजाब का एक बड़ा हिस्सा जीता और साकल को अपनी राजधानी बनाया
उसके बाद यूक्रेटीदस और मीनानडर ने भारत पर आक्रमण किया
सिकंदर ने विश्व विजेता बनने के उद्देश्य से भारत का अभियान किया
लेकिन व्यास नदी के तट से वह वापस लौट गया
भारत से सिकंदर की वापसी के मुख्य कारण थे
सैनिकों द्वारा व्यास से आगे बढ़ने से इनकार करना
अन्य कारण थे, भारतीय मौसम की चुनौती (बाढ़ एवं गर्मी )
बीमारियों का प्रकोप, सैनिकों का लंबे समय से युद्ध के बाद थका होना
सैनिकों को अपने परिवार की चिंता होना
भारत पर विदेशी आक्रमण के प्रभाव
आर्थिक प्रभाव दोनों देशों के बीच व्यापारिक संपर्क को बढ़ावा मिला
कुछ विद्वान मानते कि ईरान में प्रचलित उलुग सिक्कों का प्रभाव भारत के
आहत के सिक्को पर पड़ा
समुद्री मार्ग की खोज से विदेशी व्यापार वाणिज्य प्रोत्साहित हुआ
कला एवं सांस्कृतिक प्रभाव
ईरानी लिपि (आरामाइक) एवं
इरानी कला के तत्व का भारत में आगमन हुआ
अभिलेख उत्कीर्ण करने की प्रथा का आरंभ हुआ
मौर्यकालीन कला पर इरानी कला का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है
शिलालेखों का खुदवाने, पत्थर को चमकीला बनाने की प्रथा आदि का
विकास हुआ
भारत पर यूनानी आक्रमण के प्रभाव
दोनों महान संस्कृतियों में विचारों का आदान प्रदान हुआ
यूनानी ज्योतिष तथा कला का भारत में आगमन हुआ
गांधार कला शैली का विकास हुआ
मौर्य स्तंभों के सिर पर पशु आकृति का निर्माण यूनानी शैली की देन
प्रतीत होती है
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