Baneer 90x128

Banner 60x468

B.A. FIRST YEAR हिंदी सिनेमा का अध्ययन UNIT 2 Chapter- 2 हिंदी सिनेमा के दर्शकों की विविध कोटियां और उसका राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार NOTES



परिचय

सिनेमा में दर्शक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं किसी भी फिल्म की सफलता उसके दर्शको पर निर्भर करती है किसी भी फिल्म को दर्शकों की अभिरुचि, मानसिकता, मनोविज्ञान मनोरंजन, जिज्ञासा आदि को ध्यान में रखकर बनायी जाता है

हिंदी सिनेमा के दर्शकों की विविध कोटिया

सिनेमा के दर्शकों की विविध कोटियों का वर्गीकरण अनेक आधार पर किया जा सकता है

सामाजिक आधार

  • उच्च वर्ग निम्न वर्ग
  • शिक्षित वर्ग अशिक्षित वर्ग
  • शहरी वर्ग ग्रामीण वर्ग
  • बहुसंख्यक वर्ग अल्पसंख्यक वर्ग
  • स्त्री वर्ग पुरुष वर्ग

आयु वर्ग के आधार पर

1. प्रोढ 

2. युवा 

3. बाल

विषय अभिरुचि के आधार पर

सामाजिक ,राजनीतिक, धार्मिक ,खेल जगत ,साइंस फिक्शन, रोमांटिक फिल्म, मनोवैज्ञानिक आधारित, कृषक मजदूर केंद्रित फिल्म एक्शन फिल्म. कार्टून फिल्म. हॉरर फिल्म आदि

दर्शकों का सामाजिक आधार

उच्च वर्ग उच्च वर्ग में अधिकतम धनी वर्ग के लोग होते हैं जिन्हें वैभव स्टेटस सफलता महंगे बजट की फिल्में भव्य फिल्में देखना पसंद होता है निम्न वर्ग इसके अंतर्गत वो दर्शक होते हैं जिनका फिल्म देखने का उद्देश्य होता है कि कैसे संघर्षशील नायक अपनी गरीबी भुखमरी और व्यवस्था से ऊपर उठकर कैसे सफल होता है

शिक्षित वर्ग 

शिक्षित वर्ग अपनी बौद्धिकता जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए कथ्य की मजबूती तर्क और नवीन खोज पर विशेष ध्यान देता है

अशिक्षित वर्ग

यह ऐसा वर्ग है जो अल्प शिक्षित है या पूर्णता अशिक्षित है,उसे साइंस फिक्शन जैसी फिल्में प्रभावित नहीं करती वह फिल्मों को अपने बौद्धिकता स्तर के अनुरूप देखता है यह वर्ग ज्यादातर मनोरंजन आधारित फिल्मों को पसंद करते हैं

शहरी वर्ग

शहरी वर्ग शहर की राजनीतिक सामाजिक समस्याओं एवं उपलब्धियों और महानगरीय चुनौतियों को फिल्म में देखना चाहता है

ग्रामीण वर्ग 

ग्रामीण वर्ग फिल्म में अपनी जमीनी सच्चाई को खोजता है विपरीत मौसम की मार सहते हुए नायक स्वयं को किस प्रकार स्थापित करता है फसल प्राकृतिक आपदाएं, महाजन व्यवस्था, ग्रामीण विकास तथा ग्रामीण समस्याएं आदि विषय ग्रामीण दर्शकों को अधिक प्रभावित करते हैं

बहुसंख्यक वर्ग 

बहुसंख्यक वर्ग की फिल्में सामाजिक समस्याओं मान्यताओं एवं आस्था को लेकर बनाई जाती है उदाहरण के लिए अमर अकबर एंथोनी जिसमें तीनों वर्गों के हिंदू मुस्लिम और ईसाई आदि का मेलजोल दिखाया गया है

अल्पसंख्यक वर्ग 

इसके अंतर्गत फिल्म किसी एक वर्ग या किसी एक समस्या से प्रभावित वर्ग को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं उदाहरण के लिए निकाह फिल्म 1982 में रिलीज हुई यह फिल्म मुस्लिम विवाह की मान्यता और कठिनाइयों को लेकर बनाई गई

स्त्री वर्ग

इस वर्ग के लिए ऐसी फिल्मों का निर्माण किया जाता है जिसमें स्त्री की समस्याओं संघर्षों चुनौतियों नारी अस्मिता एवं अस्तित्व को ध्यान में रखा जाए उदाहरण के लिए लज्जा गुलाब गैंग दीक्षा पिंक पैडमैन आदि

पुरुष वर्ग 

अधिकाश हिंदी फिल्में पुरुष प्रधान होती है जिसमें नायिका की भूमिका सजावटी रूप में प्रस्तुत होती है फिल्म का अधिकांश हिस्सा नायक के हिस्से में चला जाता है ऐसी फिल्मों का निर्माण पुरुष दर्शक वर्ग की भावनाओं को ध्यान में रखकर किया जाता है

आयु वर्ग के आधार पर दर्शक की कोटिया

प्रौंढ दर्शक वर्ग

इस वर्ग के दर्शक अक्सर सीनियर सिटीजन होते हैं जिन्हें पारिवारिक तार्किक सामाजिक राजनीतिक समस्याओं पर केंद्रित एवं धार्मिक फिल्मों में अधिक रूचि होती है उदाहरण के लिए बागबान

युवा दर्शक वर्ग

हिंदी सिनेमा को देखने वाला सबसे बड़ा तबका युवा वर्ग है युवा वर्ग को ध्यान में रखते हुए जो फिल्में बनाई जाती है उनमें युवा पीढ़ी का जोश ,स्वप्न, उड़ान ,जिज्ञासा, नई विचारधारा,रोमांस, संघर्ष ,भटकाव युवा पीढ़ी की नई मानसिकता का पुरानी पीढ़ी से टकराव , नया जोश ,विद्रोह आदि विषय सम्मिलित होते हैं उदाहरण के लिए 2009 में आई राजकुमार हिरानी की फिल्म 3 ईडियट्स जो युवाओं की काफी लोकप्रिय फिल्म रही

बाल दर्शक

हिंदी सिनेमा के दर्शकों में आयु वर्ग में सबसे छोटा वर्ग बाल दर्शकों का है बाल मन की दुनिया सतरंगी होती है यह ऐसे सपनों की दुनिया है जहां रंग है फेंटेसी है रहस्यमई जादू भरी दुनिया है यह काल्पनिक हीरो है जादुई परियां है आदि है बाल दर्शकों का भाषा ज्ञान सीमित होता है इसलिए संवादों में भाषिक स्तर का विशेष ध्यान रखा जाता है उदाहरण के लिए मिस्टर इंडिया, तारे जमीन पर आदि


हिंदी सिनेमा का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार

हिंदी सिनेमा ना केवल भारत में देखा जाता है बल्कि भारत से बाहर प्रवासी भारतीय एवं विदेशी दर्शकों के द्वारा भी देखा जाता है दुनिया में सर्वाधिक फिल्में भारत के लोग देखते हैं भारतीय सिनेमा की लोकप्रिय इस तथ्य से आंकी जा सकती है कि यहां सभी भारतीय भाषाओं को मिलाकर लगभग 1600 फिल्में प्रतिवर्ष बनती है बीसवीं सदी में भारतीय सिनेमा अमेरिका के हॉलीवुड और चीन फिल्म के उद्योग के समानांतर एक विश्व उद्योग के रूप में स्थापित हुआ भारतीय सिनेमा ने 90 से अधिक देशों में अपना बाजार स्थापित किया है जहां विभिन्न भारतीय फिल्में प्रदर्शित होती है रावण, कृष 3, दंगल आदि फिल्मी दुनिया भर में $ 300 मिलियन की आय के कारण ब्लॉकबस्टर फिल्म बनी



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!