सही या गलत बताइए:
a. रॉयल बंगाल टाइगर भारत का स्थानिक प्रजाति है।
b. क्योटो प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देने वाली गैसों के उत्सर्जन को कम करना है।
c. साइलेंट वैली आंदोलन उत्तराखंड में हुआ था।
d. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम वर्ष 1972 में लागू हुआ था।
e. ओज़ोन परत वायुमंडल की मध्यमंडल (mesosphere) परत में स्थित होती है।
a) रॉयल बंगाल टाइगर भारत का स्थानिक प्रजाति है।
सही।
रॉयल बंगाल टाइगर भारत में पाई जाने वाली एक स्थानिक (endemic) प्रजाति है, यद्यपि यह नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में भी पाया जाता है, लेकिन भारत में इनकी सबसे अधिक संख्या है।
b) क्योटो प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देने वाली गैसों के उत्सर्जन को कम करना है।
सही।
यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसे 1997 में अपनाया गया था और इसका उद्देश्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है।
c) साइलेंट वैली आंदोलन उत्तराखंड में हुआ था।
गलत।
साइलेंट वैली आंदोलन केरल राज्य में हुआ था, जहाँ एक बांध परियोजना के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण हेतु यह आंदोलन चलाया गया था।
d) वन्यजीव संरक्षण अधिनियम वर्ष 1972 में अस्तित्व में आया।
सही।
भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) 1972 में लागू हुआ था ताकि पशु-पक्षियों और उनके आवास की रक्षा की जा सके।
d) ओज़ोन परत वायुमंडल की मध्यमंडल (mesosphere) परत में स्थित होती है।
गलत
ओज़ोन परत मध्यमंडल में नहीं बल्कि समताप मंडल (Stratosphere) में स्थित होती है।
रिक्त स्थान भरिए:
(i) ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट में ___________________ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
अत्यंत संकटग्रस्त (Critically Endangered)
(ii) अम्ल वर्षा (Acid Rain) __________ और __________ गैसों के वायुमंडल में उत्सर्जन के कारण होती है।
सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOₓ)
(iii) _____________ वह दवा है जो भारतीय उपमहाद्वीप में गिद्धों की बड़े पैमाने पर मृत्यु के लिए ज़िम्मेदार रही।
डायक्लोफेनाक (Diclofenac)
(iv) ________________________ उन विभिन्न गतिविधियों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को मापने की एक विधि है, जो किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा की जाती हैं।
कार्बन फुटप्रिंट (Carbon Footprint)
(v) ___________ कन्वेंशन आर्द्रभूमियों (wetlands) के संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।
रामसर (Ramsar)
निम्नलिखित के बीच अंतर करें
(क) राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण और राष्ट्रीय हरित कोर
(ख) जीवमंडल रिजर्व और जैव विविधता हॉटस्पॉट
(ग) स्व-स्थाने संरक्षण और बाह्य-स्थाने संरक्षण
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:
(क) जैव विविधता के स्तर
(ख) कृषि क्षेत्र पर वैश्विक तापमान वृद्धि का प्रभाव
(ग) ओज़ोन परत क्षरण का प्रभाव
(क) जैव विविधता के स्तर
जैव विविधता पृथ्वी पर जीवन की विविधता को दर्शाती है। यह मुख्य रूप से तीन स्तरों पर पाई जाती है:
- आनुवंशिक विविधता – किसी एक प्रजाति के भीतर जीन का अंतर। यह विविधता प्रजातियों को अनुकूलन (adaptation) और जीवित रहने में मदद करती है।
- उदाहरण: कुत्तों की अलग-अलग नस्लें या चावल की विभिन्न किस्में।
- प्रजातीय विविधता – किसी क्षेत्र में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातियों की विविधता।
- उदाहरण: शेर, हिरण, मोर आदि।
- पारिस्थितिक तंत्र विविधता – विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र जैसे कि वन, रेगिस्तान, आर्द्रभूमि आदि, जिनमें प्रत्येक जीवन के अलग-अलग समुदायों का समर्थन करता है।
(b) कृषि क्षेत्र पर वैश्विक तापवृद्धि
वैश्विक तापवृद्धि कृषि को गंभीर रूप से प्रभावित करती है, जैसे:
- फसल उत्पादन में कमी – उच्च तापमान फसलों पर तनाव डालते हैं जिससे उनकी उत्पादकता घट जाती है।
- जल संकट – वर्षा की बदलती प्रवृत्तियाँ सूखे और सिंचाई में कमी का कारण बनती हैं।
- कीट और रोगों में वृद्धि – गर्म जलवायु कीटों और फसलों की बीमारियों के प्रसार को बढ़ावा देती है।
- मृदा क्षरण – अत्यधिक मौसमीय बदलाव मृदा की गुणवत्ता और उर्वरता को प्रभावित करते हैं।
- खाद्य सुरक्षा संकट – समग्र प्रभाव से खाद्य उपलब्धता घटती है और कीमतें बढ़ जाती हैं।
ओज़ोन परत क्षरण का प्रभाव
ओज़ोन परत पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है, क्योंकि यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों को रोकती है।
इसके क्षरण से होने वाले प्रभावों में शामिल हैं:
- अत्यधिक UV विकिरण का संपर्क – इससे त्वचा का कैंसर, आंखों की मोतियाबिंद जैसी बीमारियाँ, और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है।
- पौधों को नुकसान – UV किरणें प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) को प्रभावित करती हैं, जिससे फसलें और वनस्पति क्षतिग्रस्त होती हैं।
- जलचर जीवन को नुकसान – पराबैंगनी किरणें जलीय खाद्य श्रृंखलाओं के मूल आधार प्लवक को प्रभावित करती हैं।
- जलवायु प्रभाव – यह प्रक्रिया वैश्विक ऊष्मीकरण और वायुमंडलीय परिसंचरण को प्रभावित करती है।
भारत विश्व के सत्रह विशाल विविधता वाले देशों में से एक है। उपयुक्त कारण एवं उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
भारत को विश्व के 17 महाविविधता वाले देशों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है, क्योंकि यहाँ जैव विविधता का असाधारण स्तर पाया जाता है।
प्रजातियों की समृद्धि
- भारत में 91,000 से अधिक प्रजातियाँ पशुओं की और 47,000 से अधिक प्रजातियाँ पौधों की पाई जाती हैं।
- भारत विश्व की कुल दर्ज प्रजातियों का लगभग 7–8% भाग अपने भीतर समेटे हुए है, जबकि यह पृथ्वी की कुल भूमि का केवल 2.4% ही क्षेत्रफल घेरता है।
विविध पारिस्थितिक तंत्र
- इसमें वन, घास के मैदान, रेगिस्तान, आर्द्रभूमियाँ, पर्वत, समुद्री तट और द्वीप शामिल हैं।
- उदाहरण: हिमालय, पश्चिमी घाट, सुंदरबन, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।
उच्च स्थानिकता
भारत में पाई जाने वाली बहुत सी प्रजातियाँ स्थानिक (Endemic) हैं, अर्थात् वे दुनिया में कहीं और नहीं पाई जातीं।
उदाहरण:
- लायन-टेल्ड मकाक (पश्चिमी घाट)
चार जैव विविधता हॉटस्पॉट:
भारत में विश्व के चार जैव विविधता हॉटस्पॉट स्थित हैं:
- सुंडालैंड (निकोबार द्वीप समूह)
सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएँ:
भारतीय परंपराएँ जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देती हैं जैसे कि पवित्र वनों (sacred groves) की परंपरा और गाय, साँप और मोर जैसे पशुओं के प्रति आस्था और श्रद्धा रखना।
किसी भी क्षेत्र को जैव विविधता हॉटस्पॉट घोषित करने के लिए क्या मानदंड हैं?
किसी क्षेत्र को जैव विविधता हॉटस्पॉट घोषित करने के लिए उसे दो विशिष्ट मानदंडों को पूरा करना आवश्यक होता है (जैसा कि Conservation International द्वारा परिभाषित किया गया है)।
उच्च स्थानिकता
- उस क्षेत्र में कम से कम 1,500 संवहनी पौधों (vascular plants) की स्थानिक प्रजातियाँ (endemic species) होनी चाहिए,
- अर्थात् वे प्रजातियाँ जो केवल उसी क्षेत्र में पाई जाती हैं और दुनिया के किसी अन्य भाग में नहीं मिलतीं।
प्राकृतिक आवास का भारी नुकसान
- क्षेत्र ने अपने मूल प्राकृतिक आवास (original vegetation) का कम से कम 70% भाग खो दिया हो।
- यह दर्शाता है कि क्षेत्र गंभीर खतरे में है और संरक्षण की तत्काल आवश्यकता है।
"मानव जनसंख्या विस्फोट गंभीर संसाधनों की कमी और पर्यावरणीय गिरावट का कारण बन रहा है। उचित उदाहरण देते हुए कथन की पुष्टि कीजिए।
मानव जनसंख्या विस्फोट का अर्थ है:
- पृथ्वी पर लोगों की संख्या में बहुत तेज़ी से वृद्धि होना।
- अधिक लोग होंगे तो खाद्य, जल, ऊर्जा, भूमि और आवास जैसे अधिक संसाधनों की आवश्यकता होगी।
- इससे प्राकृतिक संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिसके कारण संसाधनों की कमी (depletion) और पर्यावरणीय क्षरण (degradation) जैसी गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- संसाधनों की कमी (depletion) वनों की कटाई पेड़ों को लकड़ी, खेती, और घरों व शहरों के निर्माण के लिए काटा जाता है।
- इससे वनों में कमी आती है, जबकि वन ऑक्सीजन, वन्यजीवों और वर्षा के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं।
- उदाहरण: अमेज़न के जंगल और भारत के मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के जंगलों की कटाई की जा रही है।
जल संकट
- अधिक लोगों को पानी की आवश्यकता है – पीने, खेती, और उद्योगों के लिए।
- भूतल जल (Groundwater) का अत्यधिक दोहन हो रहा है, और नदियाँ सूखती जा रही हैं।
- उदाहरण: चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहरों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ा है।
जीवाश्म ईंधन का क्षय
- पेट्रोल, डीज़ल, कोयला और गैस का भारी मात्रा में उपयोग परिवहन और बिजली के लिए किया जा रहा है।
- ये संसाधन अविनवीकरणीय (non-renewable) हैं और तेजी से समाप्त हो रहे हैं।
- उदाहरण: पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि और ऊर्जा की कमी।
पर्यावरणीय क्षरण
वायु प्रदूषण
- अधिक वाहन और उद्योग हानिकारक गैसें छोड़ते हैं जैसे CO₂ और धुआं।
- इससे बीमारियाँ और वैश्विक तापवृद्धि (global warming) होती है।
- उदाहरण: दिल्ली में सर्दियों के मौसम में वायु की गुणवत्ता अक्सर खतरनाक स्तर तक गिर जाती है।
जल प्रदूषण
- घरों और कारखानों से निकलने वाला कचरा नदियों और झीलों में डाला जाता है।
- इससे मछलियाँ मरती हैं और बीमारियाँ फैलती हैं।
- उदाहरण: गंगा और यमुना नदियों का प्रदूषण।
मिट्टी का क्षरण
- भूमि का अत्यधिक उपयोग और रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को कम कर देता है।
- दीर्घकाल में खेती करना कठिन हो जाता है।
जैव विविधता की हानि
- प्राकृतिक आवासों को इमारतों और सड़कों के लिए नष्ट किया जा रहा है।
- कई पशु और पौधों की प्रजातियाँ अब लुप्तप्राय या विलुप्त हो रही हैं।
- उदाहरण: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और बंगाल टाइगर संकट में हैं।