परिचय
इटली का एकीकरण 19वीं शताब्दी के मध्य में हुई एक जटिल प्रक्रिया थी, जिसमें रणनीतिक कूटनीति, सैन्य अभियानों और जनविद्रोहों की भूमिका रही। इसे रिसोर्गिमॅटो के नाम से भी जाना जाता है। प्रमुख नेताओं में काउंट कैवूर, ग्यूसेप गैरीबॉल्डी और राजा विक्टर इमैनुएल द्वितीय शामिल थे, जिन्होंने एकीकृत इटली के निर्माण में अहम योगदान दिया। 1848 की क्रांतियाँ, ऑस्ट्रो-सार्डिनियन युद्ध और पापल राज्यों का विलय जैसी घटनाओं ने इस प्रक्रिया को गति दी। अंततः 1861 में इटली साम्राज्य की स्थापना हुई, जिसने आधुनिक यूरोपीय राष्ट्रवाद को भी एक नई दिशा दी।
इतालवी एकीकरण की ऐतिहासिकता
- मेटरनिख का "भौगोलिक अभिव्यक्ति" का वर्णन: मेटरनिख ने इटली को "भौगोलिक अभिव्यक्ति" कहा, क्योंकि वह केवल एक नक्शे पर दिखने वाला क्षेत्र था, जिसमें राजनीतिक और सांस्कृतिक एकता नहीं थी। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद इटली छोटे-छोटे राज्यों में बंटा रहा। उत्तरी इटली पर ऑस्ट्रिया का कब्जा था, दक्षिणी इटली नेपल्स और सिसिली बर्बोन राजवंश के अधीन था, जबकि मध्य इटली पोप के नियंत्रण में था।
- राष्ट्रीय पहचान का अभाव और विभाजन: इटली में एकजुट राष्ट्रीय पहचान नहीं थी क्योंकि क्षेत्र अलग-अलग परंपराओं और प्रतिद्वंद्विता में बंटे थे। मेटरनिख ने कहा, "प्रांत प्रांतों के विरुद्ध हैं, कस्बे कस्बों के विरुद्ध हैं," जो इस आंतरिक फूट को दिखाता है।
- एकता की राह में प्रमुख बाधाएँ: इटली में विदेशी शक्तियों का प्रभुत्व, राजनीतिक विभाजन और स्थानीय प्रतिद्वंद्विताएँ एकीकरण में बड़ी रुकावटें थीं। इसके कारण इटली का एकीकरण लंबे समय तक सिर्फ एक सपना बना रहा।
- प्रमुख नेताओं का योगदान: इन बाधाओं के बावजूद, विक्टर इमैनुएल द्वितीय, काउंट कैवूर, ग्यूसेप माज़िनी और ग्यूसेप गैरीबॉल्डी जैसे नेताओं ने इटली के एकीकरण के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कूटनीति और क्रांतिकारी तरीकों का इस्तेमाल करके 19वीं शताब्दी में एकीकृत इटली की स्थापना की।
1. फ्रांसीसी क्रांति का इटली पर प्रभाव
फ्रांसीसी क्रांति (1789) ने पूरे यूरोप, खासकर इटली पर गहरा प्रभाव डाला। "स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे" जैसे क्रांतिकारी आदर्शों ने इटली के लोगों में राष्ट्रीय चेतना जगाई।
नेपोलियन के राजनीतिक और प्रशासनिक सुधार
- प्रशासनिक सुधार: नेपोलियन ने इटली में एक केंद्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली लागू की, जिसके अंतर्गत छोटे-छोटे राज्यों को बड़े और अधिक कुशल इकाइयों में संगठित किया गया। इस सुधार का उद्देश्य प्रशासन को मजबूत और सुव्यवस्थित बनाना था, ताकि बेहतर नियंत्रण और प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।
- नेपोलियन कोड: नेपोलियन कोड के तहत पुराने सामंती कानूनों को समाप्त कर दिया गया और सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समान अधिकार प्रदान किए गए। इस कोड ने सामंतवाद का अंत कर एक आधुनिक और सुव्यवस्थित कानूनी व्यवस्था की नींव रखी, जिससे समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा मिला।
- चर्च की शक्ति में कमी: नेपोलियन के सुधारों के तहत चर्च की शक्ति में कमी आई। चर्च की भूमि जब्त कर उसे पूंजीपति वर्ग को बेच दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप मध्यम वर्ग का उदय हुआ और आर्थिक संरचना में बदलाव आया।
सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन
- मध्यम वर्ग का उदय: औद्योगीकरण के प्रभाव से इटली के उत्तरी हिस्से में वाणिज्य और उद्योग का तीव्र विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप व्यापारियों और उद्यमियों का एक मजबूत मध्यम वर्ग उभरा, जिसने आर्थिक एकीकरण और एक सुसंगठित बाजार की मांग की।
- किसानों की दशा में बदलाव: दक्षिणी क्षेत्रों में किसानों की खराब दशा ने सामाजिक और आर्थिक सुधार की माँग को और अधिक मजबूत किया। उनकी दुर्दशा ने कृषि सुधारों और न्यायसंगत व्यवस्था की आवश्यकता को उजागर किया।
- शिक्षा और जागरूकता: शिक्षा के प्रसार और प्रिंटिंग प्रेस के विकास ने साक्षरता दर में वृद्धि की। इसके साथ ही राष्ट्रवादी साहित्य और विचारों का तेजी से प्रसार हुआ, जिसने लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत किया और जागरूकता को बढ़ावा दिया।
राष्ट्रवाद के उत्प्रेरक