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Unit- 2 chapter -1 ( सोशल मीडिया का व्यावहारिक पक्ष )

 प्रिय विद्यार्थियों आज के इस ब्लॉग आर्टिकल में हम आपको बताएंगे Chapter- 1- Unit- 2) सोशल मीडिया का  व्यावहारिक पक्ष यह जो हम आपको Notes बता रहे हैं यह Hindi Medium में है इसकी Video आपको Eklavya स्नातक Youtube चैनल पर मिल जाएगी आप वहां जाकर देख सकते हैं Today Topic-BA Program / Hons Semester 2 ( सोशल मीडिया का  व्यावहारिक पक्ष )


लैटिन भाषा की शब्दकोश में एक शब्द है जिसे हम Advertere कहते हैं इसका अर्थ है मनुष्य की मनः स्थिति को मोड़ देना। इसी शब्द से अंग्रेजी में एक शब्द बनाया गया है जिसको हम Advertisement कहते हैं।
एडवर्टाइजमेंट का मतलब है अपनी बात को मोहक व सटीक ढंग से जनसामान्य तक पहुंचाना जहां इस पहुंचाने के कार्य को विज्ञापन कैसे हैं।

सामाजिक अभियान के लिए विज्ञापनओं हेतु रणनीति 

1,इस प्रकार के विज्ञापनों को नियोजित करने के लिए  पहले अपने संदेश का संक्षिप्त विश्लेषण करें ताकि यह पता चल सके कि यह समग्र समाज के लिए लाभदायक में 
है या नहीं।

2, फिर तय करेगी संदेश देने के लिए कौन सा विज्ञापन माध्यम जनहित में अधिक लाभदायक होगा और किस प्रसारण माध्यम की मदद से यह महत्वपूर्ण परिणाम दिखाएगा ।

3  आप अपने कुल लक्षित दर्शकों का चयन करें जिनसे आप संपर्क करना चाहते हैं।

4. फिर अपने बजट का निर्धारण कर लिए

5. उस उपकरण और तकनीक का निर्धारण करें जिसकी मदद से आप संवाद करना चाहते हैं और अपने लक्ष्य दर्शकों तक पहुंचना चाहते हैं।

6. अपने एजेंडे और महत्व के बारे में पी एस ए को समझाएं जोकि प्रसारण के लिए अन्य टूल उपलब्ध करवा सके।

विज्ञापन लेआउट में निम्नलिखित तत्वों को चयनित किया जाता है :-

कॉपी :- किसी भी विज्ञापन में लिखी जाने वाली समस्त सामग्री को ही कॉपी कहा जाता है अतः विज्ञापन के अन्य जितने भी तत्व है जैसे शीर्षक उपशीर्षक आदि सभी कॉपी के ही भाग हैं।

शीर्ष पंक्ति :- हेडलाइन एक शब्द से वाक्य तक हो सकती है तथा इसे बड़े बड़े अक्षरों में छापा जाता है। पाठक की नजर सबसे पहले इसी पर पड़ती है।

उप शीर्ष पंक्ति :- यह एक प्रकार की शीर्ष पंक्ति की पूरक होती है इनकी छपाई का आकार शीश पंक्तियों से छोटा तथा विज्ञापन के अन्य सामग्रियों से बड़ा होता है।

विज्ञापन पाठ :-उत्पाद के विषय में पूरी जानकारी देना तथा पाठक के मन पर उसका असर डालने का कार्य विज्ञापन पाठ का होता है।

चित्र :-विज्ञापन को आकर्षक बनाते हैं साथ ही भाषा की कमी को भी पूरा करते हैं इसीलिए चित्रों की उपयोगिता विज्ञापन में सर्वमान्य है।

व्यवहारिक चिन्ह :-ट्रेडमार्क वे होते हैं जिनको कोई भी निर्माता कंपनी अपनी पहचान के लिए विज्ञापन में इस्तेमाल करती है।

हस्ताक्षर :- कोई भी कंपनी अपने उत्पाद को नकली उत्पाद को से  बचाने के लिए सिग्नेचर या लोगों का उपयोग विज्ञापन में करती है।

सफेद जगह :- किसी विज्ञापन में जितना महत्व कॉपी और चित्र का होता है उतना ही महत्व खाली सफेद जगह का होता है सफेद जगह के कंट्रास्ट में चित्र उभर कर आते हैं और यह एक सीमा में ही रखी जाती है।

बॉर्डर :-विज्ञापनों के लेआउट को और आकर्षक बनाने के लिए विज्ञापन के चारों ओर बॉर्डर बनाए जाते हैं।

विज्ञापन लिखने के लिए क्या बक्सा बनाना जरूरी होता है?

आयताकार का एक बक्सा जिसमें विज्ञापन के चित्र और भाषा दोनों होते हैं वह उस नजर पर ज्यादा गहरी पड़े इसके लिए उसके चारों ओर एक महीन सी रेखा खींची जाती है।

व्यक्तिगत रिपोर्ट :- व्यक्ति और संगठन के साथ उनके अनुभव पर केंद्रित होते हैं। वर्णनात्मक रिपोर्ट संगठन या घटना के विवरण का वर्णन करते हैं।

संगठनात्मक :- इस प्रकार के प्रतिवेदन में किसी संस्था सभा बैठक इत्यादि का विवरण दिया जाता है।

विवरणात्मक रिपोर्ट :- एक विवरणात्मक रिपोर्ट एक दस्तावेज है जो किसी कार्य योजना घटना या स्थिति का विस्तृत विवरण प्रदान करता है।

विज्ञापन लेखन की विशेषताएं क्या हैं?

विज्ञापन संदेश पहुंचाने का व्यापक माध्यम है जिसके द्वारा संदेश को बार-बार दोहराया जाता हैविज्ञापन जनता के सामने सार्वजनिक रूप से सामाजिक हित में संदेश प्रस्तुत करने में मददगार साबित होता है

विज्ञापन द्वारा एक ही संदेश को विभिन्न प्रकार के रंगों चित्र शब्दों इत्यादि सुसज्जित तरीके से जनता तक पहुंचा जा सकता है

विज्ञापन सदैव व्यक्तिगत होता है अर्थात कभी कोई व्यक्ति आमने-सामने विज्ञापन नहीं करता विज्ञापन के लिए विज्ञापनकरता द्वारा भुगतान किया जाता है विज्ञापन का उद्देश्य नए ग्राहकों को जोड़ने तथा विद्यमान ग्राहकों को बनाए रखना होता है।

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