( भारतीय राजनीति और सरकार ) Chapter- 1- Unit- 1 || भारतीय संविधान के आधारभूत तत्व
प्रिय विद्यार्थियों आज के इस ब्लॉग आर्टिकल में हम आपको बताएंगे Chapter- 1- Unit- 1) भारतीय संविधान के आधारभूत तत्व - indian Government And Politics यह जो हम आपको Notes बता रहे हैं यह Hindi Medium में है इसकी Video आपको Eklavya स्नातक Youtube चैनल पर मिल जाएगी आप वहां जाकर देख सकते हैं Today Topic- Ba Programme Semester- 2 ( भारतीय राजनीति और सरकार ) Chapter- 1- Unit- 1 - भारतीय संविधान के आधारभूत तत्व - indian Government And Politics
भारतीय संविधान एक लिखित दस्तावेज है जिसके अनुसार देश की शासन व्यवस्था चलाई जाती है
- संविधान में हमें ऐसे नियम , कायदे , कानून मिलते है जिसमें सरकार और नागरिकों के अधिकार के बारे में जानकारी मिलती है
- यह एक ऐसा दस्तावेज है जो नागरिकों को गरिमापूर्ण व सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के लिए कार्य करता है
- भारतीय संविधान को एक जीवंत दस्तावेज माना जाता है क्योंकि यह समाज की बदलती आवश्यकताओं एवं परिस्थितियों के साथ अपने में परिवर्तन जारी रखता है
- संविधान राष्ट्र के लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने का एक साधन है
- संविधान निर्माण के बाद से आज तक संविधान में 100 से अधिक बार संशोधन किए जा चुके हैं
- संविधान भारतीय शासन व्यवस्था को संचालित करने वाले मूल तत्वों (कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका) को भी निर्देशित करता है
- भारतीय संविधान की एक मूल विशेषता संप्रभुता है , जिसमें संगठन संविधान के अनुरूप ही कार्य करते हैं
संविधान से क्या अभिप्राय है ?
संविधान एक ऐसा लिखित / अलिखित दस्तावेज होता है जिसमें किसे देश में शासन व्यवस्था कैसे चलाई जायेगी इससे सम्बंधित नियम , कायदे , कानून होते है
संविधान में शासन व्यवस्था का स्वरूप , सरकार की शक्तियां , जनता के अधिकार और कर्तव्य , संस्थाएं ,सरकार के विभिन्न अंग और उसके कार्य , प्रशासन इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है
हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है ?
1 ) समाज में तालमेल बनाने के लिए
2 ) कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए
3 ) न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए
4 ) शासन व्यवस्था चलाने के लिए
5 ) सरकार की शक्तियों का दुरुपयोग रोकने के लिए
संविधान सभा का गठन
सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी इसी दिन इसका उद्घाटन भी हुआ
9 दिसंबर 1946 को डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष बनाया गया
संविधान सभा की दूसरी बैठक 11 दिसंबर 1946 को हुई जिसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बना दिया गया
संविधान सभा की तीसरी बैठक 13 दिसंबर 1946 को हुई जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया
इसमें भावी संविधान की रूपरेखा प्रस्तुत की गई
उद्देश्य प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा ने स्वीकार किया
संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को चुना गया
26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान बनकर तैयार हो गया
मूल संविधान में 395 अनुच्छेद , 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी
वर्तमान में 8 अनुसूचियों की संख्या बढ़ाकर 12 कर दी गई है
भारत के संविधान को बनाने में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा
इसमें कुल 166 बैठकें हुई
26 नवंबर 1949 को संविधान बनकर तैयार हो गया था
परंतु इसे पूर्णतया लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया था
भारतीय संविधान के स्रोत
भारतीय संविधान का लगभग 75 % हिस्सा भारत सरकार अधिनियम 1935 से लिया गया है भारतीय संविधान में अन्य देशों से भी प्रावधान लिए गए है
इसी लिए भारत के संविधान को उधार का थैला भी कहा जाता है
संविधान की विशेषता और उपलब्धियां -
- राष्ट्रीय पहचान
- मौलिक अधिकार
- मौलिक कर्तव्य
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत
- स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका
- इकहरी नागरिकता
- संसदीय शासन प्रणाली
- सामाजिक न्याय
- राष्ट्रीय एकता
- धर्म निरपेक्षता
- सार्वभौमिक मताधिकार
- विस्तृत एवं लिखित संविधान
- कठोर और लचीलेपन का मिश्रण
- संघात्मक सरकार
- जरूरत पर संसोधन
- विविधता का सम्मान
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार
भारतीय संविधान के भाग - 3 में अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है
संविधान के भाग 3 को भारत का मैग्नाकार्टा के नाम से भी जाना जाता है
राज्य के नीति निर्देशक तत्व
- संविधान के निर्माण के समय , निर्माताओं को पता था कि स्वतंत्र भारत को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
- ऐसे में सभी नागरिकों में समानता लाना और सभी का कल्याण करना सबसे बड़ी चुनौती थी।
- उन लोगों ने यह भी सोचा कि इन समस्याओं को हल करने के लिए कुछ नीतिगत निर्देश जरूरी हैं।
- लेकिन इसके साथ ही वे इन नीतियों को आने वाली सरकारों के लिए बाध्यकारी भी नहीं बनाना चाहते थे।
- इसलिए संविधान निर्माताओं ने भारतीय संविधान में कुछ निर्देशक तत्वों का समावेश तो किया गया
- लेकिन उन्हें न्यायालय के माध्यम से लागू करवाने की व्यवस्था नहीं की गई।
- इसका अर्थ यह हुआ कि यदि सरकार किसी निर्देश को लागू नहीं करती
- तो हम न्यायालय में जाकर यह माँग नहीं कर सकते कि उसे लागू कराने के लिए न्यायालय सरकार को आदेश दे।
- इसीलिए कहा जाता है कि नीति निर्देशक तत्व 'वाद योग्य नहीं हैं।
- अर्थ यह है कि यह संविधान का एक हिस्सा है
- जिसे न्यायपालिका द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता।
संविधान की प्रस्तावना
संविधान की प्रस्तावना हमारे संविधान की आत्मा है
इसमें हम संविधान का दर्शन सारांश के रूप में कर सकते है
संविधान की आलोचना
दुनिया का सबसे लंबा और विस्तृत संविधान इसमें पश्चिमी देशों से अधिक प्रावधान किए गए हैं
संविधान के निर्माण के समय सभी समूह के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे राष्ट्रीय एकता की धारणा बहुत केंद्रीय कृत है
सामाजिक, आर्थिक अधिकार, नीति निर्देशक तत्व में डाले गए हैं जबकि इनको मौलिक अधिकारों में डालना चाहिए था
संविधान के प्रावधान मुश्किल है इसे वकील ही समझ सकते है
संविधान का कार्य
संविधान का सर्वप्रथम कार्य है कि वह आधारभूत नियमों का एक ऐसा समूह उपलब्ध कराएं जिससे समाज के सदस्यों में एक न्यूनतम तालमेल एवं विश्वास बना रहे संविधान का दूसरा कार्य इस बात को स्पष्ट करना है कि समाज में फैसला लेने की शक्ति किसके पास होगी संविधान यह भी निर्धारित करता है कि सरकार किस प्रकार निर्मित होगी संविधान का तीसरा काम यह है कि वह सरकार के द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किए जाने वाले कानूनों की कोई सीमा निश्चित करें यह सीमाएं ऐसी होती हैं कि सरकार भी उन कानूनों का उल्लंघन नहीं कर सकती उनका चौथा काम यह है कि वह सरकार को ऐसे सामर्थ्य प्रदान करें जिससे वे जनता की इच्छाओं को पूरा कर सकें तथा एक न्याय पूर्ण समाज की स्थापना हेतु उचित परिस्थितियों का निर्माण कर सकते हैं
संविधान एक जीवंत दस्तावेज
भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज कहलाता है क्योंकि यह एक गतिशील दस्तावेज है
भारत का संविधान विश्व के सफलतम संविधान में गिना जाता है
भारतीय संविधान को बने हुए 72 वर्ष हो चुके हैं इस बीच यह संविधान कई तनावों से गुजरा
लेकिन इसके बाद भी आज तक यह सफल संविधान है
इसमें आवश्यकता पड़ने पर परिवर्तन किए गए, संशोधन हुए
इस प्रकार नई चुनौतियों का भारतीय संविधान ने सफलतापूर्वक मुकाबला किया
यही इसकी जीवंतता का सबूत है
हम यह कह सकते हैं कि भारतीय संविधान में जीवंतता है
क्योंकि परिस्थितियों के अनुरूप यह परिवर्तनशील है
इसमें आवश्यकता के अनुसार संशोधन करना संभव है
समय के अनुसार यह परिवर्तित एवं गतिशील है
अर्थात भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है
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