B.A. FIRST YEAR ( POLITICAL SCIENCE ) IGNOU BPSC- 131 राजनीतिक सिद्धांत का परिचय CHAPTER- 4 / समानता EQUALITY
समानता का अर्थ
समानता की परिभाषा देना उतना ही कठिन है जितना इसे प्राप्त करना
समानता का असमानता से सापेक्ष संबंध है
पुराने समय में हिंदू समाज 4 वर्ग में बटा हुआ था
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र इस वर्गीकरण के आधार पर ही मनुष्य को
अधिकार प्राप्त थे जो यह दर्शाता है कि असमानता है
बहुत लंबे समय से चली आ रही है
वर्तमान समय में असमानता दो प्रकार से है
एक प्रकृति के द्वारा दूसरी समाज के द्वारा
प्रकृति के द्वारा विभिन्न व्यक्तियों में रंग, रूप, बल, बुद्धि प्रतिभा
आदि की दृष्टि से भेदभाव किया जाता है
दूसरा समाज द्वारा उत्पन्न विषमता है
जैसे अधिकारों,अवसरों एवं परिणामों की असमानता
राजनीति विज्ञान में समानता का तात्पर्य सामाजिक विषमता द्वारा उत्पन्न और असमानता से है
अर्थात समानता का तात्पर्य ऐसी परिस्थितियों के अस्तित्व से होता है
जिसके कारण सभी व्यक्तियों को व्यक्तित्व के विकास हेतु समान अवसर
प्राप्त हो
लास्की के विचार में समानता का अर्थ
अधिकारों की समानता होनी चाहिए
व्यक्तियों को विकास के लिए पर्याप्त अवसर होने चाहिए
सभी को एक समान सामाजिक लाभ प्राप्त होने चाहिए जन्म या कुल के
आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए
आर्थिक एवं सामाजिक शोषण का अस्तित्व नहीं होना चाहिए
समानता के विभिन्न आयाम
टर्नर ने कहा "समानता एक बहुआयामी संकल्पना है“
कानूनी समानता - इस को दो भागों में विभाजित किया जाता है
कानून के सम्मुख समानता - सभी समान व्यक्तियों के बीच कानून बराबर होना चाहिए
उसे समान रूप से लागू किया जाना चाहिए कानून की नजर में अमीर गरीब पूंजीपति
कामगार आदि के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए कानून के तहत सबके जीवन की रक्षा
और उसके उल्लंघन पर सामान दंड की व्यवस्था होनी चाहिए
कानून का समान संरक्षण
इसके अंतर्गत एक समान व्यक्तियों के
लिए एक समान कानून होने चाहिए
जैसे महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण या विशेष कतारें,
छात्रों तथा बुजुर्गों के लिए विभिन्न क्षेत्रो में दी जाने वाली छूट,
दिव्यांगों को दी जाने वाली छूट आदि
राजनीतिक समानता
राजनीतिक समानता का अभिप्राय
सभी व्यक्तियों को समान राजनीतिक अधिकार एवं अवसर
प्राप्त होने से है
अर्थात प्रत्येक को मतदान का अधिकार, पद प्राप्त करने का
अधिकार, चुनाव में खड़े होने का अधिकार होना चाहिए
लोकतंत्र में यह समानता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है
आर्थिक समानता
हमारे समाज में आर्थिक असमानता को दूर करना अत्यंत ही
कठिन कार्य है कोई व्यक्ति लाखों काम आता है तो किसी व्यक्ति को दो वक्त की
रोटी कमाने के लिए भी कठिन संघर्ष करना पड़ता है परंतु फिर भी कुछ ऐसे कार्य है
जिनको प्रोत्साहन देकर आर्थिक असमानता को दूर किया जा सकता है जैसे
प्रत्येक व्यक्ति के लिए रोजगार के समान अवसर उपलब्ध हो,
ऐसी सामाजिक व्यवस्था को बनाया जाए जिसमें समान निर्देश एवं प्रबंध हो,
एक समान काम के लिए एक समान वेतन,
एवं समाज के सभी स्तरों पर कल्याणकारी कार्य को बढ़ावा देना चाहिए
सामाजिक समानता
किसी भी व्यक्ति के साथ जाति वर्ग लिंग धर्म आधार पर
भेदभाव नहीं होना चाहिए
समाज में स्त्री और पुरुष को समान अवसर व अधिकार प्राप्त होने चाहिए
शैक्षणिक स्तरों पर समानता होनी चाहिए
नागरिक समानता
इसका संबंध कानूनी अथवा वैधानिक
समानता से है अर्थात् कानून की दृष्टि में सभी व्यक्ति समान है
जाति धर्म लिंग तथा पद के आधार पर किसी के साथ पक्षपात नहीं
किया जाएगा प्रत्येक को समान न्याय प्राप्त करने का अधिकार है
धार्मिक समानता
इसके अंतर्गत राज्य के अंदर सभी धर्म एक समान है
राज्य में रहने वाले प्रत्येक वर्ग और समुदाय अपने अपने धर्म का पालन करने
तथा स्वतंत्रता पूर्वक उसका प्रचार प्रसार करने के मामले में स्वतंत्र हैं
राष्ट्रीय समानता
इसका तात्पर्य है कि सभी राष्ट्रों को एक समान
दृष्टि से देखा जाना चाहिए तथा प्रत्येक राष्ट्रीय अपनी सीमा क्षेत्र और
आंतरिक तथा बाहरी मामलों में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं
सांस्कृतिक समानता
भारत जैसे देश में विभिन्न प्रकार के वर्ग
समुदाय और जातियां रहती हैं जिनकी अपनी संस्कृति होती है
अतः सांस्कृतिक समानता की यह मांग है कि राज्य में निवास करने
वाले प्रत्येक समुदाय को अपनी संस्कृति के विकास के लिए समान
अवसर मिलने चाहिए
Leave Comments
एक टिप्पणी भेजें